पटना: गुरुवार को न्यू गार्डिनर अस्पताल,पटना के प्रांगण में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टी.बी. से ग्रसित 5 गरीब मरीजों को सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद सिन्हा एवं रचना चक्र के संयोजक भाई सुधाकर के सौजन्य से पोषाहार प्रदान किया गया. आगामी शेष इलाज अवधि 4 माह तक यह पोषाहार उक्त मरीजों को भाई सुधाकर के द्वारा न्यू गार्डिनर अस्पताल,पटना में दी जायेगी.
इस फूड बास्केट में चावल- 3 किलो आंटा- 3 किलो, मसूर दाल- 1 किलो, सरसों तेल- 250 ग्राम, सोयाबीन-1 किलो, मूंगफली दाना 3 पाव एवं एक कैरेट अंडा उक्त पांचों मरीजों को दिया गया. इस कार्य के लिए निक्षय पोर्टल पर सुधाकर जी निक्षय मित्र पिछले माह ही बने हैं.
विदित हो कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत होकर ही निक्षय मित्र बनना पड़ता है. सरकारी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही निर्धारित प्रोटीनयुक्त खाद्य सामग्रियों को फूड बास्केट में चिन्हित टी.बी. मरीजों को दी जाती है. समाज की सहभागिता टीबी मुक्त भारत बनाने में अहम है.
भाई सुधाकर राज्य स्तरीय सामाजिक कार्य करने में ख्याति हासिल की है. उन्होंने राज्य में बाढ़ एवं अन्य प्राकृतिक विपदाओं में गरीबों को आवशयक राहत सामग्री प्रदान करते रहें हैं. भाई सुधाकर ने कहा कि अन्य टी.बी. रोगियों को भी पोषाहार दिलवाने में वे मदद करेंगे ताकि टी.बी. रोगियों की पहली दवा पोषण आहार उन्हें प्राप्त हो.
इस समारोह में न्यू गार्डिनर अस्पताल के निदेशक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि चिन्हित टी.बी. मरीजों को फूड बास्केट उपलब्ध कराने के लिए खुद ओर अन्य लोगों को निक्षय मित्र बनने के लिए कहेंगे. सभी कम से कम एक टीबी मरीज को गोद लें और छ: माह तक उन्हें निर्धारित पोषाहार जरुर दें. उन्होंने कहा कि पोषाहार भी एक दवा है.
हाई कोर्ट के प्रसिद्ध एडवोकेट राजेश कुमार ने कहा कि सामूहिक सहभागिता से देश को टी.बी मुक्त बनाया जा सकता है. इसके लिए सभी को जागरूक रहना होगा. उन्होंने आशवासन दिया कि वह अपने लोगों को भी टी.बी मरीजों को पोषाहार देने के लिए प्रेरित करेंगे.
इस समारोह में गार्डिनर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कु. सिन्हा, जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ.रजनीश चौधरी, एस.टी.एस.यू राज्य स्वास्थ्य समिति के आईएसई विशेषग्य राकेश रंजन श्रीवास्तव के साथ अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे.
विदित हो कि प्रधानमंत्री टी.बी.मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ साथ व्यक्तिगत तौर पर भी टी.बी. मरीजों को पोषाहार दी जा रही है.