समस्तीपुर : हसनपुर अंचल अन्तर्गत भटवन पंचायत के बल्हपुर निवासी युवा राजद नेता राकेश कुमार यादव उर्फ बब्लू यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि बिहार में भूमि सर्वे का कार्य प्रगति पर है यह सर्वे जनहित में है, ये अच्छी चीजें है, लेकिन सर्वे का तरीका बिल्कुल गलत है।
लगभग बिहार के नब्बे फीसदी लोगों के पास जमीन से संबंधित जानकारी नहीं है और जो दस फीसदी लोग जानते हैं वो सर्वे की दुकान खोलकर बैठ गए हैं। आज का आलम यह है की एक फ़ॉर्म भरने के लिए कम से कम 500 रुपए चुकाने पर रहे हैं यदि किसी भूस्वामी के पास दस केबाला है तो उनको दस फ़ॉर्म भरने के लिए पांच हजार रुपए देने पर रहे हैं ये तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति है, अंचल में नकल निकालने के नाम पर हजारों रुपए लूटने के लिए बिचौलियों की पौ बारह है इस तरह से हम कह सकते हैं कि बिहार में एक बार फिर से लुटेरों की दुकान तेज़ी से चल पड़ी है, और अंचल की देख रेख में काफ़ी तेज़ी से फल फूल रहा है। आम लोगों का दोहन और शोषण बड़ी तेज़ी से हो रहा है। अभी बिहार भू सर्वे के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। यदि सरकार पूरी तरह से सर्वे करवाना चाहती है तो जिस प्रकार से जातिगत आधारित जनगणना घर घर जाकर की है, ठीक उसी प्रकार डोर टू डोर जाकर सर्वे करें अन्यथा बिहार सरकार इसे बन्द करबा दें। उन्होंने कहा इस सर्वे से अपराध बढ़ रही है, लोगों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है। सरकार के पास तो सबका रिकॉर्ड है फिर उसी रिकॉर्ड को प्राप्त करने के लिए आम लोगों का शोषण क्यों किया जा रहा है? सरकार को इस पर संज्ञान लेकर इस गोरखधंधे को बंद करना चाहिए। बब्लू यादव ने कहा हम सर्वे का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसके तरीके का विरोध कर रहे हैं। सरकार सर्वे संबंधी कार्यों को एन.जी.ओ के हाथों में देकर बहुत बड़ी गलती कर दी है। एक दो साल में लड़ाई झगड़े करवाकर लोगों के पैसे लूटवाकर भाग जायेगी और इसका परिणाम कुछ भी नहीं हासिल होने वाला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने जनहित की आड़ में,भूमि सर्वेक्षण की जो राजनीतिक चाल चली है, और उसमें जो धांधली शुरू हो गयी है, वह अधिक संभव है, उनकी सरकार के लिए शायद, ताबूत की आखिरी कील साबित होने वाली है। अपनी खानदानी जमीन की अपने नाम के कागजात नहीं होने और फरीकी दुश्मनी के शिकार सभी लोग, अपनी जमीन से वंचित होकर, मुख्यमंत्री नीतीश जी के दुश्मन बनने जा रहे हैं। लोग प्रदेश से काम धंधा, मजदूरी छोड़कर बिहार आ रहे हैं, अपनी अपनी जमीन ढूंढनें। बिहार में जमीन से संबंधित कागज का यह आलम है की दरभंगा में पुराना पेपर सड़ा हुआ है और कुछ जिले में है तो उसे निकालने के लिए भूस्वामियों को महीनों तक पापड़ बेलना पड़ता है। उन्होंने बिहार सरकार से मांग करते हुए कहा है कि सरकार के पास जो भी रिकॉर्ड है उसे ठीक करे और नया पोर्टल लॉन्च करें, जिसपर सबका कागज़ उपलब्ध हो। उन्होंने कहा आज यह स्पष्ट हो गया कि सरकार सिर्फ़ वोट की राजनीति करती है, सरकार को वोट चाहिए था तो जातिगत आधारित जनगणना सरकारी स्टाफ से करवाई लेकिन जब बात भूमि सर्वे की बात हुई तो इस जटिल कार्य को एन.जी.ओ के हाथों में देकर अपना अपना पल्ला झाड़ लिया तथा आम जनता को लड़ने, मरने, मिटने, कटने के लिए छोड़ दिया है।