पटना: जल संसाधन विभाग द्वारा सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सहयोग से सूचना भवन के संवाद कक्ष में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को मंत्री, जल संसाधन विभाग, बिहार विजय कुमार चौधरी द्वारा संबोधित किया गया।
अपने संबोधन क्रम में श्री चौधरी ने बताया कि बिहार सरकार के सुझाव पर ही केन्द्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति कार्यान्वित हो रही है जिससे जल प्रबंधन एवं नियंत्रण के कारगर उपाय संभव है।
उन्होंने जल संसाधन विभाग की तमाम योजनाओं की जानकारी दी। जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत नये जलश्रोतों का सूजन एवं अधिशेष (Surplus) नदी जल क्षेत्र से जल की कमी (Deficit) वाले क्षेत्रों में जल ले जानेवाली योजनाएँ जानकारी दी।
1. गंगाजल आपूर्ति योजनाः- जल-जीवन-हरियाली अभियान के अन्तर्गत गंगा जल आपूर्ति योजना का कार्यान्वयन रु० 4515.70 करोड़ की लागत से कराया गया है, जिससे राजगीर, गया, बोधगया तथा नवादा शहरों में सफलतापूर्वक निर्बाध घरेलू उपयोग हेतु जल आपूर्ति की जा रही है।
2. औरंगाबाद, डिहरी एवं सासाराम शहरों के लिए सोन नदी में उपलब्ध सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य, प्राक्कलित राशि रु० 1347.32 करोड़ की लागत से कराया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत इन्द्रपुरी बराज के डाउन स्ट्रीम में आवश्यक जल के भण्डारण हेतु वर्ष 1874 में निर्मित परित्यक्त एनीकट (वीयर) का आधुनिकीकरण किया जायेगा तथा इसकी सहायता से इन्द्रपुरी बराज के नीचे छोड़े जाने वाले अधिशेष जल का भण्डारण कर इसका उपयोग पेयजल के लिए किया जाएगा। इस योजना को दिसम्बर 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
3. भभुआ एवं मोहनियों भाहरों के लिए सतही जल का उपयोग करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य, प्राकलित राशि 198.58 करोड़ रूपये की लागत से कराने हेतु कार्रवाई की जा रही है। निविदा की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। इस योजना के कार्यान्वयन होने से भभुआ एवं मोहनियों शहरों में भू-गर्भ जल का दोहन घटेगा, फलस्वरूप भू-गर्भ जल स्तर में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही पर्यावरण पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। इस योजना को जुलाई, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। “सात निश्चय-2” अन्तर्गत हर खेत तक सिंचाई का जल संसाधन विभाग के द्वारा मूल रूप से 604 योजनाओं को चयनित कर 1.19 लाख हे० सिंचाई योग्य भूमि को पुर्नस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरूद्ध 594 योजनाओं को पूर्ण कर 1.18 लाख हे० सिंचाई योग्य भूमि को पुर्नस्थापित किया गया है, जो अपने लक्ष्य का 99.52 प्रतिशत है। इसके अलावे हर खेत को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु अन्य योजनाओं को भी कार्यान्वित कराकर, जिसका कुल लक्ष्य 6.35 लाख हे० था, के विरूद्ध 4.88 लाख हे० पुर्नस्थापित किया गया है, जो अपने लक्ष्य का 77 प्रतिशत है। वर्ष 2023-24 में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजनः- राज्य में वृहद् एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से कुल सृजित हो सकने वाली क्षमता 53.53 लाख हे० के विरूद्ध मार्च, 2023 तक 37.3824 लाख हे० सिंचाई क्षतमा का सृजन हुआ था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 2 लाख 17 हजार 3 सी 13 हे० क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित की गयी है। जब कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र 85 हजार 4 सौ 35 हे० में ही सिंचाई क्षमता पुनस्र्थापित की गई थी। नये सिंचाई सूजन तथा नहरों की क्षमता बढ़ाने हेतु महत्वपूर्ण सिंचाई योजनाएँ :- 1. मधुबनी जिलान्तर्गत जयनगर में कमला नदी पर बराज निर्माण कार्य, प्राक्कलित राशि 405.66 करोड रूपये (चार सौ पाँच करोड़ छियासठ लाख रूपये)। वर्ष 1974-75 में मधुबनी जिला अंतर्गत कमला नदी पर 292 मी० लंबा बीयर एवं इससे निकलने वाले वितरण प्रणाली का निर्माण किया गया था। इस सिंचाई योजना से मधुबनी जिला के 8 प्रखंडों जयनगर, लदनिया, बासोपट्टी, हरलाखी, कलुआही, मधवापुर, बाबूबरही एवं खजीली प्रखंड के 28,384 हेक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रावधानित था। कमला वीयर के फालिंग शटर के संचालन में हो रही कठिनाई के कारण सिंचाई हेतु समुचित जलश्राव नहीं मिलने के फलस्वरूप मात्र 18,700 हे० कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो पा रही थी। इसलिए कमला वीयर स्थल के 100 मी० डाउनस्ट्रीम में कमला नदी पर बराज कुल लंबाई 550 मीटर के निर्माण का निर्णय लिया गया। योजना कार्य प्रगति पर है एवं इसके कार्यान्वयन से 29659 हे० क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा सकेगी। पश्चिमी कोणी नहर परियोजना, प्राक्कलित राशि 2372528 करोड़ रूपये (तेईस सौ बहत्तर करोड़, बावन लाख रूपये)। प िचमी को पी नहर परियोजना का मूल उद्दे य मधुबनी एवं दरभंगा जिला में सिंचाई की सुविधा सुनि चत कराना है। इस योजना अंतर्गत को पी नदी में नेपाल राष्ट्र में भीमनगर मे निर्मित बराज के दाँये भाग से प िचमी को ती मुख्य नहर का निर्माण किया गया है।