नेशनल इमरजेंसी लाइफ सर्पोट कार्यक्रम का किया गया समापन
पटना: इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में 26 से 30 अगस्त 2024 तक आयोजित नेशनल इमरजेंसी लाइफ सर्पोट (NELS) कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया गया।
डॉ० मनीष मंडल, चिकित्सा अधीक्षक, आई०जी०आई०एम०एस०, पटना ने बताया कि इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य देश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों और डॉक्टरों को जीवन रक्षक कौशल में प्रशिक्षित करना था।
इस प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए बिहार सरकार के द्वारा विभिन्न अस्पतालों से 18 चिकित्सक एवं आई०जी०आई०एम०एस, पटना के 5 चिकित्सकों ने भाग लिया।
उन्हें अलग अलग समूहों में बाँट कर इमरजेन्सी स्थिति को सुचारू रूप से मैनेज करने के लिए तरह-तरह के स्किल सिखाये गये।
डॉ० मंडल ने बताया कि प्रशिक्षकों की टीम में आई०जी०आई०एम०एस, पटना के प्रतिष्ठित चिकित्सक शामिल थे, जिसमें नोडल ऑफिसर डॉ० संजीव कुमार प्रमुख थे।
साथ ही डॉ. पी के झा, डॉ. स्वाति, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. नीरू गोयल, डॉ. प्रेम प्रकाश, डॉ सौरभ शेखर और डॉ. राकेश कुमार शामिल थे।
डॉ० संजीव कुमार एवं डॉ० नीरू गोयल ने सभी प्रशिक्षु को बताया कि कैसे गर्भवती गहिलाओं का आकस्मिक दुर्घटना के उपरांत श्वास एवं हृदय गति अवरूद्ध हो जाने पर सी० पी० आर० कर के जान बचायी जाये। डॉ० नीरू गोयल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में सी० पी० आर० करते समय गर्भस्थ यूटरस को बांई तरफ दबा कर रखना चाहिए, जिससे कि आई०वी०सी० पर दवाब न पड़े। अगर किसी का आकस्मिक दुर्घटना के उपरांत अधिक रक्त स्राव हो जाये तो ऐसी स्थिति में रक्त स्राव के जगह पर साफ कपड़े या बैंडेज से प्रेशर दे कर रखना चाहिए, और यथाशीध उसके नस के द्वारा नॉरमल सलाइन या रिंगर-लैक्टेट चढ़ा कर हाएपोवोलेमिक शॉक जैसी इमरजेन्सी स्थिति से जान बचाई जा सकती है। डॉ० राकेश कुमार ने एक साल से कम के बच्चों के गले में कुछ अटक जाये तो उसे आक्समीक स्थिति में कैसे निकाला जाये एवं अगर उन्हें सीपीआर कर के जरूरत पड़े तो किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाए के बारे में ट्रेनिंग दी। डॉ० संजीव कुमार एवं डॉ० स्वाति ने बताया कि इमरजेन्सी स्थिति में जो व्यक्ति ठीक से श्वास नहीं ले पाते हैं, उन्हें हेड टिल्ट, चिन लिप्ट कर के बैग मॉस्क वेंटिलेशन से फायदा होता है, अगर ऐसे मरीज में सर्वाईकल इंजुरी का संदेह रहे तो ऐसे में केवल जौ भ्रष्ट से श्वास नली का रास्ता बिना किसी अतिरिक्त इंजुरी से खोला जा सकता है, अगर इससे भी फायदा नहीं हो तो विभिन्न प्रकार के एयरवेज डिवाइस का प्रयोग करके, श्वास नली में ट्यूब डाल कर वेंटीलेटरी रपोर्ट दिया जा सकता है, एवं कभी कभी ऐसे व्यक्ति में दिल की धड़कन का भी पता नहीं चलता है तब उनकी जान बेसिक एवं एडवांस्ड लाईफ स्पोर्ट की मदद से बचाई जा सकती है।
प्रशिक्षण, के दौरान प्रतिभागियों को विभिन्न आपातकालीन स्थितियों जैसे कि हृदय संबंधी आपातकाल श्वसन संबंधी आपातकाल आघात प्रबंधन और विशेष आपातकालीन स्थितियों में मरीजों की देखभाल के महत्वपूर्ण तकनीकों से परिचित कराया गया।
इसके अलावा उन्हें व्यवहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए कौशल स्टेशनों का आयोजन किया गया, जिसमें उन्हें जीवन रक्षक प्रक्रियाओं का अभ्यास करने का अवसर मिला। डॉ० सुधीर, डॉ० पी के झा, डॉ० प्रेम, डॉ० प्रवीण एवं डॉ० सौरभ शेखर बिहार के विभिन्न अस्पतालों से आए हुए चिकित्सकों को ट्राइज और आपदा का दृश्य बना कर कैसे इस स्थिति से पीड़ित मरीज का इलाज किया जाये के बारे में हैन्ड्स ऑन ट्रेनिंग करवाया। डॉ० संजीव ने बताया कि ऐसे स्थिति में मरीज के गंभीरता एवं ट्राईजींग के हिसाब से इलाज करना चाहिए न कि किसी व्यक्ति विशेष के दवाब में, साथ ही यह भी बत्ताया कि अगर एक साथ बहुत सारे मरीज गंभीर किसी दुर्घटना के उपरांत इमरजेन्सी में आऐ तो सबसे पहले उनका ट्राइज द्वारा वर्गीकरण करते हुए अलग अलग कलर कोड में बाँटना चाहिए, जैसे कि लाल कोड गंभीर मरीज जिनकी जान बचायी जा सकती है, पीला कोड कम गंभीर मरीज जिनको इलाज की आवश्यकता तुरंत है, हरा कोड जो चोट लगने के बाद भी इंतजार कर सकता है एवं काला कोड वो अति गंभीर मरीज जिन्हें उस अस्पताल के लिए बचाना सम्भव नहीं हो या मृत आया हो । इस अवसर पर प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रशिक्षु को आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधिक्षक, डॉ० मनीष मंडल, डीन अकादमीक डॉ० ओम कुमार, एवं नोडल ऑफिसर नेल्स स्किल सेंटर डॉ० संजीव ने सभी को नेल्स कोर्स का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
कार्यक्रम के समापन पर, प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और इस प्रशिक्षण को अपनी चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण बताया। आयोजकों ने भी इस कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चिकित्सा अधिकारियों की क्षमता को बढ़ाने और मरीजों की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।