जन्मजात रोग से चिन्हित बच्चों की पहचान कर चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने का दिया गया निर्देश

पूर्णिया: 0 से 18 वर्ष के बच्चों की जन्मजात बीमारियों से उपचार करने के लिए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के आरटीपीसीआर भवन में संचालित जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) भवन का केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा निरक्षण किया गया।

इस दौरान उन्होंने संबंधित केंद्र के द्वारा जिले के 0 से 18 वर्ष के जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों के उपचार की सभी जानकारी लेते हुए उपचार के लिए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली गई। इस दौरान प्रमंडलीय स्वास्थ्य प्रबंधक (आरपीएम) कैशर इकबाल, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला, यूनिसेफ जिला सलाहकार शिवशेखर आनंद, एसएमसी मुकेश गुप्ता सहित डीईआईसी के शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ राजीव गुप्ता, डेंटल सर्जन डॉ शंकरानंद, सोशल वर्कर साकिब हसन, स्पेशल एजुकेटर विद्यानन्द, फिजियोथेरेपिस्ट सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।

0 से 18 वर्ष के बच्चों की जन्मजात रोग के उपचार की ली गई जानकारी :

डीईआईसी निरक्षण के दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा 0 से 18 वर्ष बच्चों में जन्मजात रोग एवं उसके उपचार के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली गई। डीईआईसी द्वारा 0 से 18 वर्ष के बच्चों की जन्मजात रोग के उपचार के साथ साथ बच्चों के विकास एवं अन्य समस्याओं का विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा इंटरवेंशनल करते हुए संबंधित बच्चों का उपचार सुनिश्चित किया जाता है। जन्म के बाद से ही हृदय में छेद से संबंधित समस्या, तालु या होठों का हटा होना, हाथ या पैर के टेढ़े होने पर क्लब फुट से ग्रसित बच्चों को बच्चों के जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के चलंत दल द्वारा स्कूल एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में ऐसे बीमारियों से ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें डीईआईसी के माध्यम से उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। डीईआईसी के माध्यम से मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना अंतर्गत चिन्हित बाल हृदय रोगियों को निःशुल्क इलाज हेतु अहमदाबाद भेजा जाता है। डीईआईसी भवन का निराक्षण करते हुए केंद्रीय पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा अस्पताल के माध्यम से जिले में ऐसे बच्चों को मिलने वाले सुविधाओं की जानकारी ली गई। केंद्रीय पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा स्वास्थ्य अधिकारियों को जिले के ऐसे बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा मेडिकल सहायता का लाभ उठाने के लिए जागरूक करने का भी आवश्यक निर्देश दिया गया।

डीईआईसी में उपलब्ध है फिजियोथेरेपी की सुविधा :

आरपीएम कैशर इकबाल ने बताया कि 0 से 18 वर्ष के जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों के विशेष उपचार के लिए जीएमसीएच के डीईआईसी भवन में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है। यहां ऐसे बच्चों की चिकित्सकों द्वारा फिजियोथेरेपी, डेंटल स्क्रीनिंग, लैब एवं अन्य मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा अस्पताल का निरक्षण करते हुए यहां से बच्चों को मिलने वाले सुविधाओं की जांच करने के साथ साथ बच्चों को मिलने वाले सुविधाओं की समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षिका द्वारा जिले में आरबीएसके कार्यक्रम को सुदृढ़ करने के लिए जिले के संबंधित अधिकारियों और सहयोगी संस्था के प्रतिनिधियों को आवश्यक निर्देश दिया गया है।

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